परिचय

|| सन्तपरिचय ||

(अ) कल्याणदासजी महाराज जन्मभूमि :-
सोमलियाली जि, बीकानेर (राजस्थान) पूर्वाश्रम : गढवी (चारण) गुरुद्वारा : बालोतरा (राजस्थान) गुरु महाराज : श्रीशालग्रामदासजी महाराज संप्रदाय : श्रीसंप्रदाय (रामानन्दीय, रामनिरंजनी) आचार्यगद्दी : डीडवाना (नागोर राजस्थान) कर्मभूमि : राम आशरा ते, वाव (बनासकांठा-गुजरात) राम आशरा की स्थापना : वि, सं, 1962 । सेवाकार्य : भूख़े-प्यासे यात्रीयों की सेवा कार्य । साकेतवास : वि, सं, 1987 ।

(ब) श्रीकल्याणदासजी महाराजके शिष्य परिवार :-
1) महन्त श्रीप्रभुदासजी
2) महन्त श्रीसुखरामदास
3) श्रीअचलदासजी
4) श्रीमोहबतरामदासजी
5) श्रीवक्तावरबाई ।

(क)श्रीप्रभुदासजी महाराज के शिष्य परिवार :-
1) महन्त श्रीतुलसीदासजी
2) श्रीधीरजदासजी
3) श्रीसूर्य्रप्रकाशदासजी
4) श्रीनिरभेरामदासजीदास
5) श्रीरामदासजी
6) श्रीदयारामदासजी
7) श्रीपीताम्बरदासजी
8) श्रीलक्ष्मणदासजी ।

(ड) महान्त श्रीतुलसीदासजी महाराज के शिष्य परिवार :-
1) शास्त्री प्रभाकरदास उर्फ़ पूनमदासजी
2) श्रीहरगोवनदासजी
3) श्रीगोपालदासजी
4) श्रीकमलदासजी
5) श्रीपरमेश्वरदासजी

(ड) शास्त्री श्रीप्रभाकरदास उर्फ़ पूनमदासजी :-
नाम- शास्त्री प्रभाकरदास उर्फ़ पूनमदासजी । गुरु- प,पू श्रीतुलसीदासजी महाराज | सम्प्रदाय- श्रीसंप्रदाय (रामानंदीय रामनिरंजनी) ।

शिक्षण :–
(1) एस, वाय, बी, ए, (कोलेज)
(2) संस्कृत शास्त्री (व्याकरण)
(3) भागवत-रामायण कथाकार
(4) भजन-कीर्तनकार (हारमोनीयम)
(5) शास्त्रीय संगीत परिचय

(ड) सेवा कार्य :-
1) महान्त - श्रीराम आशरा – ढीमा ।
2) अध्यक्ष – श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट ।
3) अध्यक्ष - श्रीराम आशरा धरणीधर गौशाला ट्रस्ट ।
4) श्रीमहामंडलेश्वर - श्रीराम आशरा धरणीधर बनासकांठा –खालसा ।
5) रीमहान्त - श्रीधरणीधर बनासकांठा – सन्तमंडल ।

|| धाम परिचय ||

श्रीधरणीधर तीर्थधाम (इतिहास) अति पवित्र और दिव्य ऐसी महान भारत भूमि के पटल उपर मानव तो क्या खुद सर्गाधिपति देवतागण भी यहां अवतार लेकर पुण्य कमाने के लिये लालायित रहते है | इसी लिये तो अखिल ब्रहमांड नायक खुद परमात्मा भी विविध शरीर धारण करके चौवीस अवतारों के रुपमें इसी दिव्य भुमि पर अवतरित होते हैं |

इस पावन भारत भूमि के पश्चिम दिशाकी ओर पुण्य धरा गुजरात प्रान्त के उत्तर की ओर बनासकांठा जिल्ला स्थित है | यहां पर कच्छ के रण के करीब ढीमा नामक गांव में श्रीधरणीधरजीकी भगवान बिराजमान है | यहां लाखोंकी संख्यामें श्रद्धालु भक्त लोग भगवानके दर्शनके लीये आते हैं |

कहा जाता है कि यहां पर सात सौ साल पहले इस मंदिरमें भगवान श्रीवाराहजीकी मूर्ति थी । लेकिन कुछ विधर्मि धाडोंने हमला करके उस मूर्ति को तोडकर खंडित कर दीया | उस खंडित मूर्ति को वहां से हटाने के बाद सवा सौ साल तक मंदिर का सिंहासन खाली ही रहा |

एक रात्री में भगवान के परम भक्त रुदाभाई पटेल को भगवान ने स्वप्न दीया कि मैं राजस्थान के बांसवाडा पहाड की गुफ़ा में हुं | मुझे ढीमा में आना है | तुम्हारे घरमें जो गाय है उसके दो बच्चे पैदा होंगे | जब ये बछडे छ: छ: महीने के बडे होवे तब तुम इन बछडों को बैलगाडी से जोत कर बांसवाडा जाना और मेरी उस मूर्ति को वहां से लेजा कर ढीमा के मंदिर में पधराना | यह मेरी ईच्छा है | उस स्वप्न के आधार पर भगवान की आज्ञा के अनुसार भक्तोंने उन छोटे बछ्डों को बैलगाडी से जोता और गाडी को लेकर बांसवाडा पहुंच गये | वहां पहाडकी गुफ़ामें से मूर्ति को ढुंढ निकाला और बैलगाडी में भगवान को बैठाकर ढीमा ले आये और मंदिरमें भगवान की उस चारभुजाधारी श्रीधरणीधर भगवानकी मूर्ति को प्रतिष्टित कीया | तब से यह स्थल धरणीधरतीर्थधाम नाम से प्रसिद्ध हुआ |

|| श्रीधरणीधर तीर्थधाम (एक परिचय) ||

यह उत्तर गुजरात का प्रसिद्ध तीर्थधाम है | - यहां हजारों की संख्यामें यात्रिक शामलाजीके दर्शन के लिये आते हैं| - यहां पर प्रत्येक पूनम (पूर्णिमा) के दिन यात्रिकों का मेला लगता है| यहां भगवान के मंदिर के सामने मादेला नामका एक बडा सरोवर है | यहां पर श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र आश्रममें श्रीराम परिवार,श्रीराधाकृष्ण एंव अम्बाजी का एक नवीनत्तम सुन्दर मंदिर है |

ईन मंदिरों के अलावा श्रीढीमणनाग मंदिर ,श्रीपीपाजी मंदिर, श्रीअम्बाजी मंदिर, गायत्री मन्दीर, सेनाजी, कैलाश टेकरी शिव मन्दिर एवं जैन मंदिर ईत्यादि अनेक मंदिर है | यहां यात्रिकों के ठहरने के लिये बहुत सी धर्मशालायें है । उन सब धर्मशालाओं में श्रीप्रभुदासजी धर्मशाला नाम की एक प्रसिद्ध धर्मशाला हैं |

यहां पर श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट –ढीमा, नाम का एक प्रसिद्ध अन्नक्षेत्र चल रहा है । यहां श्रीराम आशरा धरणीधर गौशाला भी है | यहां पर 108 कुंडी श्रीमहाविष्णुयज्ञ, नवकुंडी श्रीमहाविष्णु यज्ञ, पंचकुंडी पंचकुंडी महाविष्णु यज्ञ, श्रीराममहायज्ञ ईत्यादि बडे बडे भारी कार्यक्रम हुए हैं |

|| ग्राम –ढीमा एक प्रसिद्ध तीर्थधाम | ||

- उत्तर गुजरात का प्रसिद्ध तिर्थधाम ॥
- तहसील-वाव जिल्ला-बनासकांठा ।
- राजस्थान की बोर्डर से 25 कि,मी, ।
- तहसील –वाव से 12 किमी, उत्तर दिशामें |
- थराद से 12 किमी, पश्चिम दिशामें |
- जिल्ला सेन्टर पालनपुर से 100 की,मी, पश्चिम दिशा में ।
- गुजरात स्टेट गान्धीनगर से 250 की,मी, |