प्रत्येक समाज का एक संगठन होता है | आश्रमधारी सन्तों का अपने आप में जो संगठन होता है उसे सन्तमंडल कह्ते है | मण्डल की जो व्यवस्था संभालता हे उसको श्रीमहान्त कहते है | गुजरात में ऐसे कई सन्तमण्डल है | लेकिन उत्तर गुजरात के बनासकांठा जिल्ले का अपना कोई सगठन नहीं था । अनेक सन्तो महन्तों की ईच्छाओं को मान देकर शास्त्री प्रभाकरदासजी की अध्यक्षता में यह सन्तमण्डल शुरु हुआ | श्रीधरणीधर बनासकांठा सन्तमण्डल नाम से एक सन्तमंडल की स्थापना की गई है |