श्रीप्रभुदासजीकी धर्मशाला ढीमा

|| श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र ट्स्ट-ढीमा ||

(श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र ट्स्ट-ढीमा शाखा) श्रीधरणीधरधाम –ढीमा, एक प्रसिद्ध \तीर्थधाम है | यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्रिक आते रहते हैं | लेकिन यात्रिकों के लिये यहां पर कोई व्यवस्थित धर्मशाला नही थी | तब ढीमा के भाविकों के आग्रह्से श्रीकल्याणदासजीके महान समर्थ शिष्य श्रीप्रभुदासजीने गुरुजी की आज्ञानुसार धरणीधरधाम –ढीमा में तीर्थयात्रिकों की सुविधा के लिये एक सुंदर धर्मशाला का निर्माण किया और वहां श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र की शाखा भी शुरु की |

: सत्संग भवन :

महाराज श्रीप्रभुदासजी के बाद उनके कर्मठ शिष्य श्रीतुलसीदासजी महाराज ने सुचारु ढंग से आश्रम का वहिवट कीया और राम आशरा और ढीमा दोनो आश्रमों की चारों तरफ़ बहुत नामना हो गई । श्रीतुलसीदासजी के विद्वान शिष्य शास्त्री प्रभाकरदासजी उर्फ़ पुनमदासजी ने गुरुजी के बाद ( इ, 1975) में आश्रम का वहीवट संभाला । उस समय ऐसी परिस्थिति थी की ढीमा धर्मशाला के और राम आशरा के दोनों आश्रमों के मकान बहुत पुराने हो चुके थे । इन मकानों के जीर्णोद्धार करना जरुरी था । आश्रम के भाविकों की सहायता से प्रथम सत्संग भवन के निर्माण से जीर्णोद्धार की शुरुआत की । प्रत्येक धर्मस्थान में सत्संग कीर्तन की जगह अलग होनी चाहिये | इस सिद्धान्त के अनुसार आश्रम में प्रथम एक बडा सत्संग भवन बनाया गया, जिस में समय समय पर कथा भजन- कीर्तन ईत्यादि धार्मिक प्रवृतियां चलती हि रहती है |

: सन्त निवास :

आश्रममें अनेक प्रकार के यात्रिक आते है और निवास करते है | सब अपने अपने ढंग से रहते है | इन के अलावा कभी कभी संत महंतों का भी आगमन होता है | आश्रम की शोभा सन्तो से ही होती है । ऐसे संत महात्माओ को सब के साथ उतारा देना ठीक नही | इसी लिये उन सन्तों के लिये एक अलग सन्त निवास का निर्माण कीया गया है |

: श्रीरामजी मंदिर :

हिन्दु धर्म म्रें मंदिरों का बडा महत्व रहा है । शास्त्रीय नियमानुसार अपने अपने ईष्टदेव की स्थापना करके उनके प्रतिकों की सेवा-पुजा करना धर्म का एक आभिन्न अंग है | ईस सिद्धान्तानुसार ढीमा अन्नक्षेत्र आश्रम परिसर में तीन शिखर वाला एक भव्य और आधुनिक टेकनिक युक्त तिन एक सुंदर मंदिर का निर्माण किया गया है | ईस भव्य मंदिर में श्रीराम परिवार, श्रीराधाकृष्ण एवं श्रीअम्बाजी माताजी की सुन्दर प्रतिमाओंकी प्रतिष्ठा की गई । इस मंदिर में प्रतिष्ठा विधि 108 कुंडीय यज्ञ के साथ धामधुम से (ई 2006) सम्पन्न की गई है |

: विशाल नया भोजनालय :

श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र की शाखा ढीमा में है । यहां तीर्थधाम होने से अन्नक्षेत्र में भोजन प्रसाद लेने वालों की संख्या अधिक रहती है । कभी कभी प्रसंगों में भोजन करने के बैठने के लिये जगह छोटी पडती है । इस समस्या को हल करने के लिये आश्रम के परिसर में विशाल भोजनालय का निर्माण किया गया, जो सन ई, 2011 के रामनवमी के अवसर पर अमदावाद से जगद्गुरु श्रीरामानन्दाचार्य श्रीरामाचार्यजी एवं जगन्नाथ मन्दिर के महामण्डलेश्वर माहान्त श्रीदिलिपदासजी के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ ।