श्रीराम आसरा अन्नक्षेत्र आयोजित

|| श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र ट्स्ट-ढीमा ||

(श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र ट्स्ट-ढीमा शाखा) श्रीधरणीधरधाम –ढीमा, एक प्रसिद्ध \तीर्थधाम है | यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्रिक आते रहते हैं | लेकिन यात्रिकों के लिये यहां पर कोई व्यवस्थित धर्मशाला नही थी | तब ढीमा के भाविकों के आग्रह्से श्रीकल्याणदासजीके महान समर्थ शिष्य श्रीप्रभुदासजीने गुरुजी की आज्ञानुसार धरणीधरधाम –ढीमा में तीर्थयात्रिकों की सुविधा के लिये एक सुंदर धर्मशाला का निर्माण किया और वहां श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र की शाखा भी शुरु की |

||  श्रीराम आसरा :- प्रतिष्ठा महोत्सव (सं,2041 ई, 1984)  ||

(अ) पंचकुंडी श्रीमहाविष्णु यज्ञ |
(ब) श्रीमद भागवत कथा |
(क) विशाल सन्तमण्डल भण्डारा आयोजन |
श्रीराम आशरा आश्रम में महाराज श्रीप्रभुदासजी द्वारा निर्मित मंदिर था । लेकिन उसमें प्रतिष्ठा नही हुइ थी । श्रीमद भागवत कथा एव पंचकुंडी महाविष्णु यज्ञ और सन्तओं के सानिध्य में राम, लक्ष्मण और सीताजी की सुन्दर प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा विधि धामधुम से की गइ । यह कार्य (ई, 1984 में सुसंपन्न हुआ ।

||  भण्डारा महोत्सव – ढीमा (संवत 2049 ई, 1993)   ||

(अ) पंचकुंडी श्रीमहाविष्णु यज्ञ |
(ब) श्रीमद भागवत पारायण |
(क) विशाल सन्तमण्डल भंडारा आयोजन |
गुरु महाराज श्रीतुलसीदासजी के साकेतवास के कुछ वर्षोपरांत एक सुव्यवस्थित विशाल भंडारे का आयोजन कीया गया । जिस में उत्तर गुजरात के सात सन्तमण्डलों को आमंत्रित कीया । पंचकुंडी श्रीविष्णुमहायज्ञ और गायत्री पंचांग के ज्योतिषाचार्य श्रीरघुनाथ शास्त्रीजी के श्रीमुख़ से श्रीमद भागवत कथा के आयोजन के साथ सन्तों भक्तों और भाविकों के सहकार से शुभकार्य सम्पूर्ण हुआ । फ़ोटो गेलरी…पंचकुंडी विष्णु महायज्ञ ।

||  श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र शताब्दि महामहोत्सव – ढीमा(संवत 2062 ई, 2006)   ||

(अ) 108 कुंडी श्रीमहाविष्णु यज्ञ |
(ब) प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव |
(क) श्रीमद भागवत कथा |
(ड) विराट सन्त सम्मेलन |
महाराज श्रीकल्याणसजीने वि, संवत 1962 (ई, 1906)में पानी की प्याउ और रामरोटी की शुरुआत की । तब से लेकर आज तक श्रीराम आशरा अन्नक्षेत्र का बहुत विकाश हुआ है । यह सन्तों के तप और भजन का प्रभाव है । इस विकाश के सहभागी अनेक सन्त महात्मा गण है । जिस में राम आशरा के संस्थापक श्रीकल्याणदासजी महाराज, श्रीप्रभुदासजी म्रहाराज, श्रीसुख़्ररामदासजी म्रहाराज, श्रीतुलसीदासजी म्रहाराज जैसे महान महान्तों के तप प्रभाव से आज यह आश्रम पुरे भारत में प्रसिद्ध हो गया है । इन सब महान्तो के अलावा विद्वान सन्त - श्रीमोहोबतरामदासजी, श्रीअचलदासजी, श्रीरामदासजी, श्रीसूर्यप्रकाशदासजी, श्रीधीरजदासजी एवं श्रीनरभेरामदासजी इत्यादि सन्तों का भी आश्रम के विकाश में पूर्ण सहयोग रहा है । महाराज श्रीप्रभुदासजी के शिष्य महान्त श्रीतुलसीदासजि के साकेतवास के बाद उनके शिष्य शास्त्री प्रभाकरदासजी ने आश्रम का सुकान संभाला । ठीक उस समय संस्था की ऐसी परिस्थिति थी कि दोनों आश्रमों के सभी मकान जीर्ण हो चुके थे । अपने उपर जिम्मेवारी आने पर कैसे भी कर के जीर्णोद्धार कराना जरुरी था । प्रथम लोगों का विश्वाश संपन्न करना और फीर सुचारु ढंग से उनको मदद के लिये तैयार करना खुब जरुरी था । यह भी काम गुरु महाराज की कृपा से पूर्ण हो गया । प्रथम सत्संग भवन की नीव डाली गई । सत्संग भवन, सन्त निवास, भोजनालय, यात्री निवास, रामजी मन्दिर और पुराने राम आश्रम का भी सम्यग जीर्णोद्धार का भी काम पूर्ण हो गया । अब राम आशरा आश्रम के एक सौ वर्ष पुरे हो रहे थे । अत: सौ वर्ष का शताब्दि वर्ष मनाना चाहिये । विशाल पैमाने पर उत्सव होना चाहिये । साथ साथ ढीमा में नवनिर्मित श्रीराम परिवार, श्रीराधाकृष्ण और अम्बाजी की और गुरुजनों की मूर्तिओं की प्राणप्रतिष्ठा विधि भी करानी थी । इस कार्य लिये एक विशाल आयोजन में 1008 कुंडिय यज्ञ का आयोजन कीया गया । पांच दिन चलनेवाला ऐसा विशाल 108 कुण्डी महायज्ञ इस विस्तार में प्रथम कार्यक्रम था । इस में 108 यजमान और 150 विद्वान पंडितों के साथ यह महा कार्य परिपूर्ण हुआ । श्रीमद भागवत कथा के साथ विशाल संत संमेलन भी रख़ा गया । हमेशां लाखों की संख्या में लोग भोजन,भजन और दर्शन से लाभान्वित होते थे । इस तरह हजारों साधु-सन्तों और विशाल जन समुदाय के सहकार से यह राम आशरा अन्नक्षेत्र शताब्दि का अद्वितीय और भव्य कार्यक्रम करोडों रुपयो के खर्च से परिपूर्ण हुआ ।

|| राम आशरा शताब्दी महामहोत्सव कार्यक्रम ||

1 ) ध्वजारोहण मुहूर्त |
2
) जुलुस ढीमा से राम आशरा |
3 ) प्रतिष्ठाविधि |
4
) श्रीमद भागवत कथा |
5
) 108 कुंडी श्रीमहाविष्णु यज्ञ |
6
) विराट सन्त सम्मेलन |
7 ) आगन्तुकोंका सम्मान |
8
) रात्री जागरण कलाकार |
9 ) सांस्कृतिक कार्यकम |
10) भोजन समारम्भ ईत्यादि |

|| प्रथम पाटोत्सव महोत्सव- ढीमा ( ई,2007) ||

(अ) श्रीरामायण पारायण (रामकथा) |
(ब) पंचकुंडी श्रीराम महायज्ञ |